अपनेपन से बात करना
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2. अपनेपन से बात करना
आइए देखें कि हमारी ढाका टीम की राबिया, मरीज़ों से अपनेपन के साथ बातचीत करने के असर के बारे में क्या बताती हैं...
"मुझे एक माँ के साथ हुई बातचीत याद है जो इस बात को लेकर काफ़ी परेशान थी कि वो अपने जुड़वाँ बच्चों में से सिर्फ़ एक जीवित बच्चे का ख्याल कैसे रखेंगी। हालाँकि मैं ज़्यादा तो कुछ नहीं कर पाई, लेकिन उन्हें सहानुभूति दिखाने और उम्मीद दिलाने की मैंने पूरी कोशिश की। मुझे बड़ा ताज्जुब हुआ जब उन्होंने घबराहट और निराशा भरे वक्त में भी मुझे मदद के लिए भरे दिल से शुक्रिया कहा।
मरीज़ों से की गई अपनेपन से बातचीत बहुत असरदार हो सकती है। मुझे इस बात की कीमत और असर का एहसास तब हुआ, जब कुछ अनजाने लोगों के मुश्किल वक्त के दौरान हमारी बातों से उन्हें भरोसा मिलता है और वे हमारे शुक्रगुज़ार होते हैं।"
- राबिया अख़्तर, ढाका, बांग्लादेश
Last modified: Friday, 23 August 2024, 12:08 PM